कहा से लाऊ हुनर उसे मनाने का, कोई जवाब नही था उसके रूठ जाने का, मोहब्बत मे सजा मुझे ही मिलने की, क्यूकी जुर्म मैने किया था उसे दिल लगाने का ♥️
कहा से लाऊ हुनर उसे मनाने का, कोई जवाब नही था उसके रूठ जाने का, मोहब्बत मे सजा मुझे ही मिलने की, क्यूकी जुर्म मैने किया था उसे दिल लगाने का ♥️